बायोइनफॉरमैटिक्स का परिचय, इतिहास और अनुप्रयोग B.Sc. 3 Year Biotechnology, Paper 2 - Bioinformatics, Unit 1- Introduction, History and Applications of Bioinformatics B.Sc. notes in Hindi

B.Sc. 3 Year Biotechnology, Paper 2 - Bioinformatics, Unit 1- Introduction, History and Applications of Bioinformatics
इकाई 1- बायोइनफॉरमैटिक्स का परिचय, इतिहास और अनुप्रयोग


परिचय (Introduction)

बायोइनफॉरमैटिक्स (जैव सूचना विज्ञान) बायोलॉजी की एक शाखा है जिसमें DNA, RNA और प्रोटीन जैसे बायोलॉजिकल मैक्रोमोलेक्यूल्स के स्टोरेज, पुनर्प्राप्ति (retrieval), हेरफेर (manipulation) और वितरण (distribution) से संबंधित जानकारी के साथ डील किया जाता है।

बायोइंफॉर्मेटिक्स शब्द 2 शब्दों से व्युत्पन्न हुआ है - बायो का अर्थ है जीव विज्ञान और इन्फॉर्मेटिक्स (फ्रेंच शब्द) का अर्थ है डेटा प्रोसेसिंग। तो बायोइनफॉरमैटिक्स का पूरा अर्थ, बायोलॉजिकल डेटा प्रोसेसिंग है। इस बहुविषयक क्षेत्र (multidisciplinary field) में बायोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, सांख्यिकी (statics), भौतिकी (physics), इलेक्ट्रॉनिक्स, गणित (mathematics) और जैव प्रौद्योगिकी (biotechnology) शामिल हैं।

बायोलॉजिकल डेटाबेस तथा GenBank के बारे में यहां पढ़े

इतिहास (History)

  • प्रथम प्रमुख बायोइनफॉरमैटिक्स प्रोजेक्ट 1965 में मार्गरेट डेहॉफ़ (Margaret Dalhoff) के द्वारा पहला प्रोटीन सिकवेंस डेटाबेस विकसित किया गया था। जो प्रोटीन सिकवेंस और स्ट्रक्चर (PIR) के रूप में जाना जाता है।

  • 1970 में ब्रुकहेवन नेशनल लेबोरेटरी (Brookhaven National Laboratory) में प्रोटीन के 3D स्ट्रक्चर के लिए नेशनल लेबोरेटरी प्रोटीन डेटा बेस (PDB) की स्थापना की गई।

  • पहला अनुक्रम संरेखण एल्गोरिदम (Sequence Alignment Algorithm) 1970 में नीडलमैन और वुन्श (Needleman and Wunsch) के द्वारा विकसित हुआ था। 

  • प्रोटीन स्ट्रक्चर प्रेडिक्शन एल्गोरिदम फ़ैसमैन (Fasman) द्वार 1974 में विकसित किया गया।

  • 1980 में जीनबैंक (GenBank) की स्थापना हुई तथा विलियम पियर्सन (William Pearson) द्वारा पहला डेटाबेस सरचिंग एल्गोरिथ्म FASTA व स्टीफ़न अल्टस्चुल (Stephen Altschul) और सहकर्मी द्वारा BLAST विकसित किया गया।

बायोइनफॉरमैटिक्स के उद्देश्य (Aims of Bioinformatics)

* बायोइनफॉरमैटिक्स डेटा को इस प्रकार व्यवस्थित करता है कि मौजूदा जानकारी शोधकर्ताओं (researchers) को उपयोग करने की सुविधा मिले और नई जानकारी बना करके सबमिट करने की सुविधा मिले।

* उपकरण (tools) विकसित करता है और डेटा संसाधनों (data resources) का विश्लेषण (analysis) करने में मदद करता है।

* विश्लेषण डेटा को जैविक सार्थक तरीके से व्याख्या करता है।


बायोइनफॉरमैटिक्स का स्कोप (Scope of Bioinformatics)

आजकल बायोइनफॉरमैटिक्स, बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में शोधकर्ताओं (researchers) के लिए आवश्यक विषय है। ये जीनोमिक्स, प्रोटिओमिक्स और माइक्रोएरे की ग्रोथ के लिए लगभग महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है।

* बायोइनफॉरमैटिक्स के अनुप्रयोग के बिना बायोटेक्नोलॉजी का क्षेत्र बहुत धीमी गति से प्रगति करता है।

* न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम तकनीक (nucleotide sequence technique) में सुधार होने से न्यूक्लियोटाइड डेटा बेस हर 10 मिनट के बाद आकार में दोगुना हो जाता है।

* ये डेटा को विभिन्न उद्देश्यों के लिए प्रबंधित और स्टोर (manage and store) करता है।

* बायोइनफॉरमैटिक्स जैविक अनुसंधान (biological research) के लिए ही नहीं बल्कि जीनोमिक्स, प्रोटिओमिक्स और ड्रग डिस्कवरी के क्षेत्र में भी उपयोगी है।

* बायोइनफॉरमैटिक्स आनुवंशिक विकार (genetic disorder) के बढ़िया इलाज के लिए, ड्रग डेवलपमेंट और लिविंग सिस्टम की मौलिक समझ (fundamental understanding) के लिए महत्वपूर्ण उपकरण (tool) है।

* बायोइनफॉरमैटिक्स का ज्ञान बेहद उपयोगी है और अब ये बायोलॉजिकल साइंस के सभी क्षेत्रों जैव प्रौद्योगिकी (biotechnology), कृषि (agriculture), चिकित्सा विज्ञान (medical science), पर्यावरण विज्ञान (environmental science) आदि में लागू होता है। इसका उपयोग निम्नलिखित के विकास में किया जाता है -

असाध्य रोगों (incurable disease) के इलाज के लिए आणविक औषधियाँ (molecular medicines)। 

नई आणविक निदान किटों (molecular diagnostic kits) की खोज।

उच्च उपज, प्रतिरोध (resistance)और कम रखरखाव वाली फसलें पैदा करना।

अपशिष्ट सफाई (waste cleanup) बैक्टीरिया की पहचान करने में पर्यावरणीय लाभ।

यह भी देखिए - https://www.notespoint.in/2023/09/bsc-1-year-microbiology-paper-1-general.html

https://www.notespoint.in/2023/10/bsc-microbiology-1-year-notes-in-hindi.html

https://www.notespoint.in/2022/10/b.html

बायोइनफॉरमैटिक्स का अनुप्रयोग (Applications of Bioinformatics)

1. अनुक्रम विश्लेषण (Sequence analysis) - 

* अनुक्रम डेटाबेस खोज (Sequence database searching)।

* अनुक्रम संरेखण और अनुक्रम तुलना (sequence alignment और sequence comparison) 

* फाइलोजेनी (विकास संबंध का अध्ययन)


2. संरचना विश्लेषण (Structure analysis) -

न्यूक्लिक एसिड संरचना उत्पादन, प्रोटीन संरचना उत्पादन, प्रोटीन संरचना वर्गीकरण, प्रोटीन संरचना तुलना।


3. फ़ंक्शन विश्लेषण (Functional analysis) -

जीन अभिव्यक्ति प्रोफाइलिंग (Gene expression profiling), चयापचय पथ मॉडलिंग (metabolic pathway modeling), प्रोटीन उपकोशिकीय स्थानीयकरण भविष्यवाणी (protein subcellular localization prediction), प्रोटीन इंटरैक्शन भविष्यवाणी (protein interaction prediction)।


4. अनुक्रम अनुवाद (Sequence translation)


5. साहित्य अभिलेख (Literature record)

a) पबमेड (PubMed) - यह सब्सट्रेट देता है।

b) पबमेड सेंट्रल PMC - शोध पत्र प्रदान करता है।


6. दवा उत्पादन और फार्मेसी सूचना विज्ञान (Drug production and pharmacy informatics)- 

बायोइनफॉरमैटिक्स के पहलू ड्रग डिजाइनिंग में उपयोग कर सकते हैं और इसे फार्मेसी इनफॉरमैटिक्स के रूप में जाना जाता है।


7. जीनोमिक्स और प्रोटिओमिक्स (Genomics and Proteomics) - 

जीनोमिक्स प्रजातियों (species) के संपूर्ण आनुवंशिक कॉम्पलिमेंट के विश्लेषण (genetic compliment analysis) में उपयोग होता है। प्रोटिओमिक्स संपूर्ण प्रोटीन कॉम्पलिमेंट कोशिका या शरीर का अध्ययन है।


बायोइनफॉरमैटिक्स का विकास (Development of Bioinformatics)- 

DNA प्रतिकृति और डीएनए अनुक्रमण तकनीक (DNA replication and DNA sequencing) के माध्यम से कई जीवों के जीनोम का अनुक्रम (sequence)बनाना संभव हुआ है।

शक्तिशाली तकनीकों ने हाल ही में अभिव्यक्ति फेनोटाइप और चयापचय मार्गों (expression phenotype and metabolic pathways) का अध्ययन विकसित किया है, जैसे -

* DNA माइक्रोएरा - इसका उपयोग जीन अभिव्यक्ति (gene expression) का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।

* 2D पेज (2D PAGE)- इसका उपयोग प्रोटीन प्रोफाइल तैयार करने के लिए किया जाता है।

हाल ही में विकसित तकनीक जैसे स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंटरसेलुलर पाथवे और सेल्युलर मेटाबोलिज्म की जानकारी उत्पन्न करती है।