पोषण संबंधी आवश्यकता के आधार पर बैक्टीरिया का वर्गीकरण
Classification of Bacteria on the basis of Nutritional Requirement
B.Sc Microbiology 1 Year
सभी जीवो के समान बैक्टीरिया को अपनी वृद्धि और समान्य कार्य करने के लिए पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है। किसी भी जीव के पोषक तत्व की आवश्यकता उसके जैव रासायनिक संघटन पर निर्भर करती है। बैक्टीरिया को बढ़ने के लिए एक न्यूट्रिएंट मीडिया की आवश्यकता होती है, जिसमे वृद्धि के लिए जरूरी सभी चीजें शामिल होती हैं। बैक्टीरिया को कल्चर करने के लिए कई प्रकार के कल्चर मीडिया विकसित किए गए हैं, क्योंकि इनकी पोषक तत्वो की अवश्यकता आम तौर पर बदलती रहती है। बैक्टीरिया को पोषण के आधार पर कई प्रकार से विभाजित किया गया है।
बैक्टीरिया की ग्रोथ के लिए आवश्यक कल्चर मीडिया के बारे में यहां पढ़े
कार्बन स्रोत के आधार पर
1. ऑटोट्रॉफ़्स
ऑटोट्रॉफ़्स बैक्टीरिया को स्वपोषी भी कहा जाता है। यह कार्बन के संपूर्ण स्रोत के रूप में Co2 का उपयोग करते है। इनहे विकास के लिए केवल पानी, अकार्बनिक लवण और Co2 की आवश्यकता होती है। ये Co2 को फिक्स करने के लिए विभिन्न प्रकार के ऊर्जा स्रोत का उपयोग करते हैं।
2. हेटरोट्रॉफ़्स
हेटरोट्रॉफ़्स ऐसे बैक्टीरिया हैं जो अपने भोजन के लिए दूसरे पर निर्भर करते हैं। इनके लिए कार्बन का स्रोत केवल Co2 नहीं है, बल्कि यह कई प्रकार के कार्बनिक यौगिकों से भी कार्बन प्राप्त करते हैं।
ऊर्जा स्रोत के आधार पर
1. फोटोट्रॉफ़्स
फोटोट्रॉफ़्स ऊर्जा स्रोत के रूप में सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके अपना पोषण स्वयं करते हैं।
2. किमोट्रॉफ़्स
जैसा कि नाम से पता चलता है, किमोट्रॉफ़्स ऊर्जा स्रोत के रूप में रासायनिक यौगिक का उपयोग करके अपना पोषण करते हैं।
कार्बन स्रोत, ऊर्जा स्रोत और इलेक्ट्रॉन दाता स्रोत के आधार पर बैक्टीरिया को निम्नलिखित श्रेणी में विभाजित किया गया है -
1. फोटोऑटोट्रॉफ़्स
फोटोऑटोट्रॉफ़्स कार्बन स्रोत के रूप में Co2 को और ऊर्जा स्रोत के रूप में प्रकाश को उपयोग करते हैं, जैसे कि कई फोटोसिंथेटिक बैक्टीरिया, उदाहरण के लिए- ग्रीन सल्फर बैक्टीरिया तथा साइनोबैक्टीरिया। ये बैक्टीरिया Co2 को फिक्स करने के लिए सोलर रेडीएशन और अकार्बनिक यौगिक का उपयोग करते हैं।
ग्रीन सल्फर बैक्टीरिया तथा पर्पल सल्फर बैक्टीरिया Co2 का रिडक्शन करने के लिए वॉटर मॉलिक्यूल का उपयोग नहीं करते हैं बल्कि इनऑर्गेनिक एनवायरमेंट का उपयोग करते हैं। तो इस प्रोसेस में Co2 रिलीज नहीं होती तथा इसे एनोक्सीजेनिक प्रोसेस कहा जाता है।
2H2S + Co2 → (CH2o) + 2S + H2o
सायनोबैक्टीरिया में Co2 के रिडक्शन के लिए H2 की प्राप्ति वॉटर मॉलिक्यूल से होती है और O2 रिलीज़ होती है अतः इसे ऑक्सीजेनिक प्रोसेस कहा जाता है।
2H2O + Co2 → (CH2o) + O2 + H2O
2. कीमोऑटोट्रॉफ़्स
कीमोऑटोट्रॉफ़्स कार्बन स्रोत के रूप में Co2 का तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में अकार्बनिक पदार्थ का उपयोग करते हैं, जैसे -
👉 बेजियातोआ, H2S का उपयोग करते हैं।
👉 थायोबैसिलस थायोऑक्सिडेन्स, एलिमेंटल S2 का उपयोग करते हैं।
👉 नाइट्रोसोमोनास, अमोनिया का उपयोग करते हैं।
👉 हाइड्रोजनोमोनास, H2 का उपयोग करते हैं।
👉 नाइट्रोबैक्टर, नाइट्राइट का उपयोग करते हैं।
सभी बैक्टीरिया इन यौगिकों से उत्पन्न ऊर्जा को ATP के रूप में संचित करके रखते है। ये बैक्टीरिया इनऑर्गेनिक इलेक्ट्रॉन डोनर का उपयोग करते हैं जो कि 2 प्रकार के हैं -
b) फेकलटेटीव कीमोलिथोट्रॉफ़्स - वे बैक्टीरिया जो Co2 के साथ - साथ कार्बन स्रोत के लिए अन्य कार्बनिक यौगिक का उपयोग भी करते हैं, फेकलटेटीव कीमोलिथोट्रॉफ़्स कहलाते हैं।
3. फोटोहेटरोट्रॉफ़्स
वे बैक्टीरिया जो कार्बन स्रोत के रूप में कार्बनिक यौगिक का उपयोग करते हैं, फोटोहेटरोट्रॉफ़्स कहलाते हैं। ये ऊर्जा स्रोत के रूप में प्रकाश का उपयोग करते हैं लेकिन कार्बोहाइड्रेट का निर्माण नहीं करते हैं। फोटोहेटरोट्रॉफ़्स कार्बन स्रोत के रूप में अल्कोहल, कार्बनिक अम्ल आदि का उपयोग करते हैं।
4. कीमोहेट्रोट्रॉफ़्स
यह ऊर्जा, H2, और कार्बन स्रोत के लिए कार्बनिक यौगिक का उपयोग करते हैं, अर्थात ये Co2 का उपयोग नहीं करते हैं। अधिकांश पैथोजेनिक माइक्रोऑर्गेनिज्म कीमोहेट्रोट्रॉफ़्स होते हैं।