रिकोम्बिनेन्ट DNA टेक्नोलॉजी में उपयोग होने वाले आवश्यक एंजाइम्स, B.Sc Microbiology Notes हिंदी में, Biotechnology, M.sc, MP SET, NET, Hindi Notes, rDNA Technology

रिकोम्बिनेन्ट DNA टेक्नोलॉजी में उपयोग होने वाले आवश्यक एंजाइम्स

Essential Enzymes used in Recombinant DNA Technology

रिकोम्बिनेन्ट DNA टेक्नोलॉजी या rDNA टेक्नोलॉजी 1973 में स्टेनली N कोहेन और हर्बर्ट W बोयर द्वारा विकसित की गई थी। rDNA टेक्नोलॉजी में इनविट्रो प्रक्रियाओं का उपयोग करके एक जीव के जीन को दूसरे जीव में स्थानांतरित किया जाता है। विभिन्न गतिविधियों वाले विभिन्न एंजाइम्स का उपयोग rDNA टेक्नोलॉजी में अनिवार्य रूप में किया जाता है।

rDNA टेक्नोलॉजी में प्रयुक्त आवश्यक एंजाइम निम्नलिखित हैं -

1. रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज
2. DNA पॉलीमरेज
3. रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज 
4. RNA पॉलीमरेज
5. एल्कलाइन फॉस्फटेज 
6. पॉलीन्यूक्लियोटाइड काइनेज 
7. DNA लाइगेज
8. DNase
9. RNAase
10. फॉस्फोडाईएस्टरेज
11. टोपोआइसोमरेज
12. प्रोटीनेज K
13. लाइसोजाइम
14. β अगारेज

हम यहाँ प्रत्येक आवश्यक एंजाइम्स को उनके अनुप्रयोगो सहित विस्तार से समझेंगे -

1. रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज

रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज  rDNA टेक्नोलॉजी की नींव की तरह कार्य करता है, क्योंकि DNA को काटना सभी rDNA कार्यो के लिए प्रारंभिक स्टेप है। इसलिए रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज को आणविक कैंची (molecular scissors) के रूप में भी जाना जाता है (Endo = inside, Nuclease = cuts nucleic acid)। इस एंजाइम के बारे में सबसे पहले वर्नर आर्बर, हैमिल्टन ओथेनेल स्मिथ और डेनियल नाथन ( Werner Arber, Hamilton Othanel Smith and Daniel Nathans) ने बताया था। यह एंजाइम बैक्टीरिया के अंदर उपस्थित होता है और डिफेन्स मैकेनिज्म प्रदान करता है जिसे रेस्ट्रिक्शन मॉडिफिकेशन सिस्टम करते हैं। शब्द रेस्ट्रिक्शन बैक्टीरियोफैज के विकास को रेस्ट्रिक्ट करने की उनकी क्षमता को इंगित करता है।

रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज एक छोटे और विशिष्ट DNA अनुक्रम की पहचान करके, या तो रिकॉग्निशन साइट (4 से 6 बेसेस का विशिष्ट DNA अनुक्रम) के भीतर या उसके निकट डीऑक्सीराइबोज शुगर और फॉस्फेट समूहों के बीच शुगर फॉस्फेट बैकबोन को काटता है।

रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज के प्रकार - 

रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज के तीन मुख्य प्रकार है - Type I, Type II, Type III, प्रत्येक एंजाइम भिन्न मोड ऑफ़ एक्शन के आधार पर थोड़ा अलग होता है। 

1. Type I रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज

यह लंबे मल्टी सबयूनिट प्रोटीन (साइज 300 - 400 KDa) है। यह सिंगल प्रोटीन कॉम्प्लेक्स के रूप में कार्य करते है तथा इसमें एंडोन्यूक्लीएज व मिथाइलेज एक्टिविटी दोनों शामिल है। इसमें 3 सबयूनिट है - रिकॉग्निशन साइट, मिथाइलेशन साइट तथा रिस्ट्रिक्शन साइट। रिकॉग्निशन साइट एसिमिट्रिक तथा द्विपक्षीय होती है, व इसकी लंबाई 8 से 16 bp होती है। इसके लिए Mg++, S-एडेनोसिलमेथियोनीन और सह-कारक के रूप में ATP की आवश्यकता होती है।
इसके उदाहरण है - Eco K, Eco B

2. Type II रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज

यह साइज में छोटे (50 - 100 KDa) होते है तथा मिथाइलेशन के लिए भिन्न एंडोन्यूक्लीएज यूनिट्स होती है।रिकॉग्निशन साइट रोटेशनल सिमेट्री के साथ पैलिंड्रोमिक होती है और इसकी लेंथ 4 - 9 bp होती है। इसे केवल Mg++ की आवश्यकता होती है। यह कटिंग के आधार पर दो प्रकार के होते है - ब्लंट एन्ड कटर्स और स्टिकी एन्ड कटर्स।
इसके उदाहरण है - EcoRI, EcoRV

3. Type III रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज

अलग - अलग सबयूनिट्स के द्वारा रेस्ट्रिक्शन तथा रिकॉग्निशन होता है। रिकॉग्निशन साइट की लंबाई 5 - 7 bp होती है तथा यह एसिमिट्रिक व  एकपक्षीय होता है। ऊर्जा के स्रोत के रूप में ATP और Mg++ की भी आवश्यकता होती है।
इसके उदाहरण है - EcoPI, EcoP15

रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज का कटिंग पैटर्न

यह DNA सीक्वेंस को दो प्रकार से काटता है - 

1. स्टिकी एंड - अधिकांश रेस्ट्रिक्शन एंजाइम  स्टिकी कट बनाते हैं। ये कट सिंगल स्ट्रैंड वाले स्टिकी सिरे उत्पन्न करते हैं।  स्टिकी एंड के कारण विभिन्न स्रोतों से प्राप्त DNA को आसानी से जोड़ा जा सकता है।

2. ब्लंट एंड  - कुछ रेस्ट्रिक्शन एंजाइम समान बेस पेयर पर DNA के दोनों स्ट्रैंड को काटते हैं। परिणामस्वरुप ब्लंट एंड वाले DNA फ्रेगमेंट बनते हैं।

रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज के अनुप्रयोग-

  • यह DNA स्ट्रैंड को विशिष्ट अनुक्रमों में काटता है।
  • होस्ट जीनोम को बाहरी जेनेटिक मटेरियल  से बचाया जाता है।

2. DNA पॉलीमरेज

DNA पॉलीमरेज न्यूक्लियोटाइड को असेम्ब्ल करके DNA संश्लेषण करता है। DNA पॉलीमरेज में एक टेम्पलेट निर्देशित DNA संश्लेषण गतिविधि होती है (टेम्पलेट DNA के लिए पूर्ण पूरक), जो इसे एक बाध्य प्राइमर के मुक्त 3'-हाइड्रॉक्सिल से विस्तार करने की अनुमति देती है। सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि, यह एंजाइम पहले से मौजूद DNA टेम्प्लेट के कॉम्प्लिमेंटरी DNA की नई कॉपी बनाता है। DNA पोलीमरेज फॉस्फोडाईएस्टर बॉन्ड के निर्माण को उत्प्रेरित करता है, यह बॉन्ड DNA अणु की बैकबोन बनाता है। इस दौरान ये फॉस्फेट ग्रुप के चार्ज को बैलेंस करने के लिए Mg आयन का उपयोग करता है।

DNA पॉलीमरेज के प्रकार

DNA पॉलीमरेज तीन प्रकार के होते है - 

1. DNA पॉलीमरेज I

1956 में Arthur Kornberg ने E.coli के लाइसेट्स में इसकी पहचान की थी, जिसे DNA पॉलीमरेज़ I या Pol I कहा जाता है। इसे DNA रिपेयर एंजाइम के नाम से भी जाना जाता है। Pol I एक्सोन्यूक्लिएज के रूप में कार्य करता है। यह DNA से RNA प्राइमर को अलग करता है और गैप भी भरता है। मॉलिक्यूलर बायोलॉजी प्रयोगों में DNA पॉलीमरेज I का उपयोग किया जाता है

2. DNA पॉलीमरेज II

यह Pol I तथा Pol II की अनुपस्थिति में DNA रिपेयरिंग में मदद करता है। DNA रेप्लिकेशन के दौरान यह सबसे कम प्रतिक्रियाशील होता है।

3. DNA पॉलीमरेज III

इसे रेप्लिकेज भी कहा जाता है क्योंकि यह DNAकी सबसे बड़ी श्रृंखला का निर्माण करता है। इसलिए रेप्लिकेशन प्रक्रिया में यह मुख्य एंजाइम है। यह 5' - 3' डायरेक्शन में न्यूक्लियोटाइड जोड़ता है।

DNA पॉलीमरेज के अनुप्रयोग-

जेनेटिक इंजीनियरिंग में DNA पॉलीमरेज के कुछ अनुप्रयोग निम्नलिखित है -

  • इसका उपयोग C - DNA लाइब्रेरी की तैयारी में कॉम्प्लिमेंटरी DNA के दूसरे स्ट्रैंड के संश्लेषण में किया जाता है।
  • इस एंजाइम का उपयोग DNA के एंड-लेबलिंग द्वारा रेडियोएक्टिव प्रोब्स की तैयारी में किया जाता है।
  • निक ट्रांसलेशन विधि द्वारा DNA लेबलिंग।

3. रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज 

रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज RNA - डिपेंडेंट DNA पॉलीमरेज है। इन्हें रेट्रोवायरस द्वारा एनकोड किया जाता है, जहां ये होस्ट कोशिकाओं में एकीकरण से पहले वायरल RNA जीनोम को DNA में कॉपी करते है। रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज में दो प्रकार की एक्टिविटी होती है - DNA पॉलीमरेज एक्टिविटी और RNase H एक्टिविटी।

1. DNA पॉलीमरेज एक्टिविटी

प्रयोगशाला में, यह मूलरूप से तुलनीय क्षमता के साथ ss RNA और ss DNA टेम्पलेट्स दोनों को ट्रांसक्राइब करता है।

2. RNase H एक्टिविटी

यह एक राइबोन्यूक्लिएज है जो RNA:DNA हाइब्रिड में RNA को विघटित करता है, जो RNA टेम्पलेट के रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन के दौरान बनता है।

रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज के अनुप्रयोग-

  • mRNA का इन विट्रो ट्रांसक्रिप्शन।
  • DNA अणु की लेबलिंग।
  • सैंगर की डाइडिऑक्सी विधि द्वारा DNA सिक्वेंसिंग।
  • रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन PCR

4. RNA पॉलीमरेज

RNA पॉलीमरेज, DNA या RNA की RNA प्रतिलिपि बनाता है। रासायनिक रूप से, RNA पॉलीमरेज एक न्यूक्लियोटाइडिल ट्रांसफरेज है जो RNA ट्रांसक्रिप्ट के 3' एंड पर राइबोन्यूक्लियोटाइड्स को पोलीमराइज करता है। कई बैक्टीरियोफेज RNA पॉलीमरेज व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हैं। बैक्टीरियोफेज 5P6, T3 और T7 RNA पॉलीमरेज DNA - डिपेंडेंट RNA पॉलीमरेज है, जिनमें उनके संबंधित डबल स्ट्रैंडेड प्रमोटर्स के लिए स्ट्रिक्ट विशिष्टता है और साथ ही पहले पांच कोडित बेस के लिए अनुक्रम वरीयता भी है।

इन विट्रो ट्रांसक्रिप्शन प्रयोग के लिए फेज प्रमोटर और उसके संबंधित पॉलीमरेज का उपयोग करने के तीन कारण हैं-

1. ये प्रमोटर मजबूत होते हैं, जो RNA की बड़ी मात्रा के इन विट्रो संश्लेषण को सुविधाजनक बनाते है।
2. इन प्रमोटर्स को E.coli पॉलीमरेज द्वारा पहचाना नहीं जाता है, इसलिए कोशिका के भीतर कोई ट्रांसक्रिप्शन नहीं होता है।
3. एक सक्रिय फेज RNA पॉलीमरेज में एक सिंगल पॉलीपेप्टाइड होता है, अर्थात, ये E.coli एंजाइम की तुलना में काम करने के लिए बहुत सरल एंजाइम हैं, जो एक मल्टीसबयूनिट एंजाइम है।

RNA पॉलीमरेज के अनुप्रयोग-

RNA पॉलीमरेज निम्नलिखित प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य है -
  • सिंगल स्ट्रैंडेड RNA ट्रांसक्रिप्ट का संश्लेषण ।
  • T7 RNA पॉलीमरेज द्वारा क्लोन जीन का बैक्टीरिया में एक्सप्रेशन।
  • कैप्ड RNA ट्रांस्क्रिप्ट का इन विट्रो संश्लेषण।

5. एल्कलाइन फॉस्फटेज 

एल्कलाइन फॉस्फटेज एक हाइड्रोलेज एंजाइम है। यह न्यूक्लियोटाइड और प्रोटीन सहित कई प्रकार के अणुओं से फॉस्फेट समूह को हटाने के लिए जिम्मेदार है। फॉस्फेट समूह को हटाने की प्रक्रिया को डीफॉस्फोरिलेशन कहा जाता है। ये एंजाइम क्षारीय pH पर सबसे अधिक सक्रिय होते है। इन्हें अनेक स्रोतों से पृथक और शुद्ध किया जाता है, लेकिन इनका सबसे अधिक उपयोग मॉलिक्यूलर बायोलॉजी  प्रयोगों के लिए किया जाता है।

एल्कलाइन फॉस्फटेज के प्रकार

1. बैक्टीरियल एल्कलाइन फॉस्फटेज (BAP)

इसे E.coli से पृथक किया जाता है। न्यूट्रल pH पर BAP छह Zn++ आयन रखता हैं, जिनमें से दो एंजाइमेटिक गतिविधि के लिए आवश्यक होते है और उच्च सब्सट्रेट सांद्रता पर सक्रिय होते हैं। BAP इनएक्टिवेशन, डिनेचुरेशन और डिग्रेडेशन के लिए तुलनात्मक रूप से प्रतिरोधी है। हालांकि एंजाइम का उद्देश्य पूरी तरह से ज्ञात नहीं हुआ है।

2. काफ इंटेस्टिनल फॉस्फेटज (CIP or CIAP)

CIP को काफ की  इंटेस्टिनल म्यूकोसा से पृथक किया गया है। इसकी अधिकतम गतिविधि Mg++ और Zn++ सांद्रता पर निर्भर करती है।आम तौर पर CIP का उपयोग नियमित प्रयोगों में किया जाता है, इसे या तो प्रोटीनेज K के साथ उपचार द्वारा डाइजेस्ट किया जाता है या 5 mm EDTA की उपस्थिति में 65 डिग्री सेल्सियस पर 1 घंटे तक गर्म करके निष्क्रिय किया जाता है।अंत में, डीफॉस्फोराइलेटेड DNA को फिनोल द्वारा शुद्ध किया जा सकता है।

3. आर्कटिक श्रिम्प एल्कलाइन फॉस्फेटेज  (SAP)

SAP को पांडालस बोरियालिस (आर्कटिक झींगा) से पृथक किया जाता है। इसके एंजाइमेटिक गुण CIP के समान ही होते हैं। यह उच्च तापमान पर अस्थिर होता है तथा 65 डिग्री सेल्सियस पर 15 मिनट तक गर्म करने पर अपरिवर्तनीय रूप से निष्क्रिय हो जाता है।

एल्कलाइन फॉस्फटेज के अनुप्रयोग-

  • वेक्टर के सेल्फ लाइगेशन  की रोकथाम।
  • एंड-लेबलिंग से पहले 5' फॉस्फेट समूह को हटाना।

6. पॉलीन्यूक्लियोटाइड काइनेज (PNK)

पॉलीन्यूक्लियोटाइड 5' - हाइड्रॉक्सिल काइनेज, जिसे सामान्यतः पॉलीन्यूक्लियोटाइड काइनेज के नाम से जाना जाता है। यह एक होमोटेट्रामेरिक प्रोटीन है जिसका अणुभार ~140 KDa है तथा यह T4 बैक्टीरियोफेज pse T जीन द्वारा एनकोडेड है।
PNK ATP से r-फॉस्फेट के स्थानांतरण को DNA या RNA के पॉलीन्यूक्लियोटाइड्स के 5'-हाइड्रॉक्सिल टर्मिनी में निम्नलिखित रिएक्शन में उत्प्रेरित करता है-

ATP + 5'-dephospho-DNA (or RNA) → ADA + 5'-phospho DNA (or RNA)

PNK की एंजाइमेटिक गतिविधि दो प्रकार की रिएक्शन में उपयोग की जाती है -

1. फॉरवर्ड रिएक्शन 

इस रिएक्शन में, PNK ATP से r-फॉस्फेट को पॉलीन्यूक्लियोटाइड (DNA या RNA) के 5'-एंड तक स्थानांतरित करता है।

2. एक्सचेंज  रिएक्शन 

इस रिएक्शन में, 5'-फॉस्फेट वाले टारगेट DNA या RNA  को ADP की अधिकता के साथ इनक्यूबेट किया जाता है। PNK सबसे पहले न्यूक्लिक एसिड से फॉस्फेट को ADP पर स्थानांतरित करता है, ATP बनाता है और एक डीफॉस्फोराइलेटेड टारगेट छोड़ता है। एंजाइम फिर एक फॉरवर्ड रिएक्शन करता है।

पॉलीन्यूक्लियोटाइड काइनेज के अनुप्रयोग-

  • पॉलीन्यूक्लियोटाइड का फॉस्फोरिलीकरण
  • 5' - टर्मिनी की रेडियोलेबलिंग

7. DNA लाइगेज

मॉलिक्यूलर बायोलॉजी  में, DNA लाइगेज एक विशिष्ट प्रकार का एंजाइम है। DNA लाइगेज DNA या RNA के एक स्ट्रैंड के 5'-फॉस्फेट और दूसरे के 3'-हाइड्रॉक्सिल के बीच फॉस्फोडाइएस्टर बॉन्ड के निर्माण को उत्प्रेरित करता है। इस एंजाइम का उपयोग DNA के टुकड़ों को सहसंयोजक रूप से जोड़ने या एक साथ जोड़ने के लिए किया जाता है। मॉलिक्यूलर क्लोनिंग प्रयोगों में उपयोग किए जाने वाले DNA लाइगेज या तो बैक्टीरियल ऑरिजिन  के होते हैं या बैक्टीरियोफेज द्वारा एन्कोड किए जाते हैं, दोनों की आवश्यकता क्लोनिंग प्रयोगों के दौरान न्यूक्लिक एसिड के नए संयोजन बनाने और उन्हें वेक्टर अणु से जोड़ने के लिए होती है। DNA लाइगेज का उपयोग DNA रिपेयर और DNA रेप्लिकेशन दोनों में होता है। लाइगेज रिएक्शन के लिए ATP की आवश्यकता होती है।

DNA लाइगेज के प्रकार

1. बैक्टीरियोफेज T4 DNA लाइगेज

यह T4 बैक्टीरियोफेज से प्राप्त होता है। यह DNA में 5'-फॉस्फेट और 3'-OH एंड्स के बीच फॉस्फोडाइएस्टर बॉन्ड के निर्माण को उत्प्रेरित करता है। यह एक मोनोमेरिक पॉलीपेप्टाइड है और इसे सहकारक के रूप में ATP की आवश्यकता होती है।

बैक्टीरियोफेज T4 DNA लाइगेज के अनुप्रयोग -

  • कोहेसिव एंड्स का लाइगेशन
  • ब्लंट एंड वाले टर्मिनी का लाइगेशन
  • सिंथेटिक लिंकर्स या एडॉप्टर का लाइगेशन

2. E.coli DNA लाइगेज

E.coli कोशिकाओं से प्राप्त होता है तथा सहकारक के रूप में NAD+ की आवश्यकता होती है। यह ~74 KDa आणविक भार का मोनोमेरिक एंजाइम है, जो कोहेसिव एंड्स वाले डुप्लेक्स DNA में फॉस्फोडाइएस्टर बंध के निर्माण को उत्प्रेरित करता है।

E.coli DNA लाइगेज के अनुप्रयोग -

  • कोहेसिव एंड्स का लाइगेशन
  • पूर्ण लम्बाई वाले cDNA की क्लोनिंग

3. Taq DNA लाइगेज

थर्मोस्टेबल लाइगेज को एनकोड करने वाले जीन की पहचान कई थर्मोफिलिक बैक्टीरिया से की गई है। Taq DNA लाइगेज NAD+ को सहकारक के रूप में उपयोग करता है और ds DNA के निक्स पर काम करता है। ब्लंट एंड लाइगेशन को उत्प्रेरित करता है। 

Taq DNA लाइगेज के अनुप्रयोग -

  • म्युटेशन का पता लगाना

8. डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिएज (DNase)

डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिएज एक प्रकार का न्यूक्लिएज एंजाइम है जो DNA बैकबोन के फॉस्फोडाइएस्टर बंधों के हाइड्रोलाइटिक विभाजन को उत्प्रेरित करता है। DNase के विभिन्न प्रकार हैं, जो अपनी सब्सट्रेट विशिष्टता, रासायनिक क्रियाविधि और जैविक कार्य में भिन्न हैं।

डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिएज के प्रकार

1. DNase I

यह एक एंडोन्यूक्लिएज है, जो ss DNA और ds DNA दोनों के विघटन को उत्प्रेरित करता है, जिससे 5'-फॉस्फेट और 3'-हाइड्रॉक्सिलेटेड टर्मिनी के साथ डाइ, ट्राई और ऑलिगोन्युक्लियोटाइड प्राप्त होते हैं।

DNase I के अनुप्रयोग -

  • DNA कंटैमिनेशन को हटाना
  • निक ट्रांसलेशन द्वारा DNA की लेबलिंग
  • DNase I  फुटप्रिंटिंग

2. स्टेफाइलोकोकल न्यूक्लिएज

Ca2+ - पर निर्भर फॉस्फोडाइस्टरेज।

स्टेफाइलोकोकल न्यूक्लिएज के अनुप्रयोग -

  • 3'- फॉस्फोमोनोन्यूक्लियोटाइड्स की तैयारी
  • गैर-विशिष्ट DNA और RNA को हटाना
  • DNase I  फुटप्रिंटिंग

3. श्रिम्प  DNase

पिचिया पास्टोरिस से पृथक करते है।

श्रिम्प  DNase के अनुप्रयोग -

  • ds DNA का चयनात्मक क्षरण, जिससे ss DNA और RNA यथावत् रहते हैं।

4. S1 न्यूक्लिएज

यह एस्परजिलस ओरिजाइ  द्वारा स्रावित होता है।

S1 न्यूक्लिएज के अनुप्रयोग -

  • cDNA का संश्लेषण
  • म्युटेशन विश्लेषण
  • S1 न्यूक्लिएज मैपिंग

5. मूंग बीन एंडोन्यूक्लिएज

छोटे ग्लाइकोप्रोटीन

मूंग बीन एंडोन्यूक्लिएज के अनुप्रयोग -

  • DNA सेकेंडरी स्ट्रक्चर की जांच
  • ट्रांस्क्रिप्शनल मैपिंग
  • हेयर पिन लूप क्लीवेज

6. Bal 31 न्यूक्लिएज

समुद्री बैक्टीरिया अल्टरोमोनस एस्पेजियाना से पृथक किया जाता है।

Bal 31 न्यूक्लिएज के अनुप्रयोग -

  • DNA में स्थिर विलोपन बनाना
  • ds RNA से न्यूक्लियोटाइड को हटाना

9. राइबोन्यूक्लिएज (RNAase)

राइबोन्यूक्लिएज न्यूक्लिएज का एक समूह है जो RNA के हाइड्रोलिसिस को छोटे घटकों में उत्प्रेरित करता है। कुछ सामान्यतः प्रयुक्त RNAse नीचे दिए गए हैं - 

1. राइबोन्यूक्लिएज A

एंडोराइबोन्यूक्लिएज बोविन पैन्क्रीअस से पृथक किया जाता है।

राइबोन्यूक्लिएज A के अनुप्रयोग -

  • DNA कंटैमिनेशन को हटाना
  • RNA सिक्वेंसिंग
  • DNA या RNA में मिसमैच क्लीवेज द्वारा म्युटेशन की मैपिंग 

2. राइबोन्यूक्लिएज H

RNA:DNA हाइब्रिड में केवल RNA स्ट्रैंड को खराब करता है।

राइबोन्यूक्लिएज H के अनुप्रयोग -

  • द्वितीय cDNA स्ट्रैंड संश्लेषण
  • RNA का साइट विशिष्ट क्लीवेज
  • न्यूक्लिएज सुरक्षा असे में भूमिका
  • RNA युक्त ds DNA संरचना का पता लगाना

3. राइबोन्यूक्लिएज T1

एस्परजिलस ओरिजाइ से प्रथक किया गया फंगल एंडोन्यूक्लिएज है। ग्वानिन अवशेष के 3'-एंड के बाद ss RNA विभाजित करता है।

राइबोन्यूक्लिएज T1 के अनुप्रयोग -

  • RNA सिक्वेंसिंग
  • RNA साइट निर्देशित क्लीवेज
  • RNAse T1 फिंगरप्रिंटिंग 

10. फॉस्फोडाईएस्टरेज I

फॉस्फोडाईएस्टरेज I (वेनम एक्सोन्यूक्लिएज) क्रोटेलस एडामेंटस वेनम से प्रथक किया गया है। इसका आणविक भार ~115KDa है, तथा यह न्यूक्लिक एसिड संरचना और अनुक्रमण के अध्ययन में व्यापक उपयोग होता है। यह 3'-हाइड्रॉक्सी टर्मिनेटेड DNA और RNA से 5'-मोनोन्यूक्लियोटाइड को हाइड्रोलाइज करता है।

फॉस्फोडाईएस्टरेज I  के अनुप्रयोग -

  • इसका उपयोग बेस संरचना और निकटतम विश्लेषण के लिए किया जाता है।

11. टोपोआइसोमरेज

टोपोआइसोमरेज DNA रेप्लिकेशन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण एंजाइम है। टोपोआइसोमरेज के दो प्रकार हैं Type I और Type II। Type I  टोपोआइसोमरेज में टोपोआइसोमरेज I और टोपोआइसोमरेज III शामिल हैं जबकि Type II में टोपोआइसोमरेज II (DNA गाइरेज) और टोपोआइसोमरेज IV भी शामिल है।

1. टोपोआइसोमरेज I

टोपोआइसोमरेज I काफ के थाइमस से पृथक किया जाता है, यह एक प्रतिवर्ती न्यूक्लिएज है जो DNAके एक स्ट्रैंड में अस्थायी सिंगल स्ट्रैंडेड ब्रेकेज या निक्स को उत्पन्न करता है। यह DNA के दूसरे स्ट्रैंड को अनट्विस्ट करता है और फिर निक्स को फिर से सील कर देता है (यानी फॉस्फोडाइस्टरेज बॉन्ड को फिर से जोड़ना)। इस प्रकार एंजाइम सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूप से सुपरकोइल किए गए DNA को शिथिल करने में मदद करता है। टोपोआइसोमरेज I द्वारा उत्प्रेरित प्रतिक्रिया के दौरान, एंजाइम पर एक विशिष्ट टायरोसिन रेसिड्यू और DNA के एक स्ट्रैंड के बीच एक अस्थायी सहसंयोजक मध्यवर्ती बनता है, इस प्रकार फॉस्फोटायरोसिन लिंकेज के रूप में फॉस्फोडाइएस्टरेज बॉन्ड के क्लीवेज की ऊर्जा को संरक्षित करता है। यह बॉन्ड टायरोसिन DNA फॉस्फोडाइएस्टरेज की गतिविधि से टूट जाता है।

टोपोआइसोमरेज I के अनुप्रयोग -

  • DNA सुपरकोइलिंग और संरचना का विश्लेषण।
  • एंजाइम का उपयोग प्लाज्मिड DNA के इलेक्ट्रोफोरेटिक पृथक्करण को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
  • एंजाइम ss सर्कुलर DNA में गांठें बनाता है।
  • क्रोमेटिन पुनर्गठन DNA रिपेयर अध्ययन का इन विट्रो विश्लेषण।
  • ड्रग प्रतिरोध और कोशिका प्रसार पर अध्ययन।

2. टोपोआइसोमरेज II

इसे मानव टोपोआइसोमरेज II जीन के क्लोन वाले E. coli से पृथक किया गया है। मूल रूप से यह DNA को शिथिल करने वाला एंजाइम है और इसका आणविक भार ~340K है। टोपोआइसोमरेज II एक पूर्ण DNA हेलिक्स को एक अस्थायी ब्रेक के माध्यम से पारित करके न्यूक्लिक एसिड की टोपोलॉजिकल स्थिति को बदल देता है, जो एक अलग DNA हेलिक्स उत्पन्न करता है। इसके ds DNA पैसेज मैकेनिज्म के परिणामस्वरूप, एंजाइम नकारात्मक या सकारात्मक रूप से सुपरकोइल्ड DNA को शिथिल कर सकता है और साथ ही DNA अणुओं को कैटेनेट/डिकैटेनेट या नॉट/अनकॉट कर सकता है।

टोपोआइसोमरेज II के अनुप्रयोग -

  • नकारात्मक या सकारात्मक रूप से सुपरकोइल किए गए DNA को शिथिल करना।
  • DNA को कैटेनेट या डिकैटेनेट करना।
  • DNA को नॉट या अनकॉट करना।

12. प्रोटीनेज K

यह अत्यधिक सक्रिय और स्थिर एंडोपेप्टाइडेज है और इसका आणविक भार ~29KDa है। इसे फंगस ट्रिटिराचियम एल्बम के स्टेशनरी कल्चर से शुद्ध किया जाता है। प्रोटीनेज के नाम में K अक्षर यह संकेत देता है कि फंगस की कुल कार्बन और नाइट्रोजन की आवश्यकता प्रोटीएज द्वारा किरेटिन के हाइड्रोलिसिस द्वारा पूरी की जा सकती है। परिपक्व एंजाइम में Ca2+ के लिए 2 बाइंडिंग साइट्स होते हैं। प्रोटीनेज K के साथ पाचन आमतौर पर EDTA की उपस्थिति में किया जाता है। यह कोशिकाओं के अपघटन के लिए SDS और यूरिया की उपस्थिति में भी सक्रिय है। प्रोटीनेज K कोशिका लाइसेट्स में RNase और DNase को कुशलतापूर्वक पचाता है, जो कोशिकाओं और ऊतकों से उच्च आणविक भार वाले DNAऔर RNA को शुद्ध करने में उपयोगी है।

प्रोटीनेज K के अनुप्रयोग -

  • मूल, उच्च आणविक भार के DNA और RNA का पृथक्करण।
  • DNA, RNA को निष्क्रिय करना और सामान्य प्रोटीएज के रूप में प्रोटीन को डिग्रेड करना।
  • प्रोटीन स्थानीयकरण के लिए मेम्ब्रेन संरचनाओं के विश्लेषण के लिए कोशिका सतह प्रोटीन और ग्लाइकोप्रोटीन को विशेष रूप से संशोधित करना।
  • एंजाइम/प्रोटीन संरचना और कार्य विश्लेषण में उपयोग किए जाने वाले विशिष्ट प्रोटीन टुकड़ों का उत्पादन करना।

13. लाइसोजाइम

लाइसोजाइम एंजाइम का एक समूह है जो बैक्टीरियल सेल वॉल पेप्टिडोगाइकेन्स के वैकल्पिक NAM - NAG पॉलीसैकेराइड घटक में N-एसिटाइलमुरैमिक एसिड (NAM) और N-एसिटाइल ग्लूकोसामाइन (NAG) से β-(1,4) ग्लाइकोसिडिक लिंकेज के हाइड्रोलिसिस को उत्प्रेरित करता है।
लाइसोजाइम प्रकृति में व्यापक रूप से वितरित होते हैं और जहां भी बैक्टीरियल सेल को नष्ट करने की आवश्यकता होती है, वहां उपयोग होते हैं। यह आंसू, लार और म्यूकस जैसे स्रावों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

लाइसोजाइम के अनुप्रयोग -

  • लाइसोजाइम का उपयोग DNA के पृथक्करण में किया जाता है।

14. β अगारेज

इसे E.coli के एक स्ट्रेन से अलग किया गया है जिसमें एक प्लाज्मिड होता है, जो स्यूडोमोनास अटलांटिका के β- अगारेज I जीन को एनकोड करता है। β अगारेज विशेष रूप से 1,3-लिंक्ड β-D-गैलेक्टोपाइरानोज और 1,4-लिंक्ड 3,6-एनहाइड्रो-β-L-गैलेक्टोपाइरानोज से बने अगारेज पॉलीसैकेराइड कोर को नियोएगरो-ऑलिगोसेकेराइड में हाइड्रोलाइज करता है। यह विशेष रूप से 1,3-β -D- गैलेक्टोसिडिक लिंकेज को हाइड्रोलाइज करता है।

अगारेज के अनुप्रयोग -

  • पूर्ण DNA और RNA की जेंटल रिकवरी।
  • अन्य निष्कर्षण विधियों की तुलना में DNA की उच्च यील्ड रिकवरी।
  • लंबे DNA फ्रेगमेंट्स (> 30Kbp) की कुशल रिकवरी।
Reference - Genetic Engineering (Smita Rastogi and Neelam Pathak)