कल्चर मीडिया के प्रकार B.Sc 1 Year, Paper - 2, Unit - 3 Microbiology

कल्चर मीडिया

माइक्रोऑर्गेनिज्म की ग्रोथ तथा रिप्रोडक्शन के लिए साधारण एनवायरमेंट या खाद्य पदार्थ काम नहीं आते है। बैक्टीरिया की ग्रोथ के लिए विशेष प्रकार के मीडियम को तैयार किया जाता है जिसे आम तौर पर कल्चर मीडिया कहा जाता है (यह सॉलिड, लिक्विड या सेमीसोलिड हो सकता है)। कल्चर मीडिया में माइक्रोऑर्गेनिज्म या अन्य कोशिकाओं की वृद्धि के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व उपलब्ध होते है तथा इनमें पोषक तत्वों की सांद्रता उतनी ही होती है जितना वृद्धि के लिए आवश्यक होता हैं। ऐसा नहीं है कि सभी माइक्रोऑर्गेनिज्म एक ही प्रकार के कल्चर मीडिया में विकसित हो सकते हैं, विभिन्न स्पीशीज के माइक्रोऑर्गेनिज्म को अपनी वृद्धि के लिए अलग-अलग पोषक तत्वों तथा तापमान की आवश्यकता होती है। माइक्रोऑर्गेनिज्म की विशेष आवश्यकता के अनुसार भिन्न - भिन्न कल्चर मीडिया तैयार किये जाते हैं। 



Image by Edward Jenner on Pexels
(Image by Edward Jenner on Pexels)



कल्चर मीडिया के प्रकार

कल्चर मीडिया को फिजिकल स्टेट, कंपोजिशन तथा उपयोग के आधार पर निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है-

A) फिजिकल स्टेट के आधार पर कल्चर मीडिया 3 प्रकार का होता है -


1. लिक्विड मीडिया या ब्रोथ - 

लिक्विड मीडिया को ब्रोथ मीडिया के रूप में भी जाना जाता है यह एक ऐसा बैक्टीरियल ग्रोथ मीडियम है जिसमें बैक्टीरिया लिक्विड में ग्रोथ करते हैं। ब्रॉथ बनाते समय इसमें बैक्टीरियल ग्रोथ के लिए आवश्यक सारे पोषक तत्व मिलाए जाते है लेकिन सॉलिडिफाइंग एजेंट (अगार) को नहीं मिला जाता जिससे ये लिक्विड बना रहता है।लिक्विड मीडिया टेस्ट ट्यूब, बोतलों या फ्लास्क में उपयोग के लिए उपलब्ध रहता हैं। इस प्रकार के मीडिया को बैक्टीरिया की वृद्धि दर, विभाजन दर, इनोकुलम तैयारी, ब्लड कल्चर, किण्वन अध्ययन तथा कंटीन्यूअस कल्चर के लिए उपयोग किया जाता है। 

उदाहरण - न्यूट्रिएंट ब्रोथ, फिनोल रेड कार्बोहाइड्रेट ब्रोथ, पोटैटो डेक्सट्रोज ब्रोथ और ट्राइप्टिक सोय ब्रोथ।




(Image by Tima Miroschnicheko on Pexels)




2. सेमीसोलिड मीडिया - 

यह मीडिया सेमी-सॉलिड या जेली जैसी स्थिति में रहता है। इसे अगार की बहुत कम मात्रा (0.5%) मिलाकर तैयार किया जाता है। अगार एक जमने वाला एजेंट है जिसे लाल शैवाल (मुख्य रूप से जेलिडियम और ग्रेसिलेरिया) की सेल वॉल से प्राप्त किया जाता है। सेमी-सॉलिड मीडिया का उपयोग माइक्रोएरोफाइल्स की वृद्धि और बैक्टीरिया की गतिशीलता को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है, जिसे मोटाइल और नॉन मोटाइल बैक्टीरिया को अलग किया जा सकता है।

उदाहरण - स्टुअर्ट और एमीज़ मीडिया, ह्यूग और लीफसन ऑक्सीडेशन फर्मेंटेशन मीडियम




(Image by Edward Jenner on Pexels)



3. सोलिड मीडिया - 

जैसा कि नाम से पता चल रहा है यह मीडिया सॉलिड कंडीशन में रहता है। ऐसा माना जाता है कि सॉलिड मीडिया का पहली बार उपयोग रॉबर्ट कोच द्वारा किया गया था। इस मीडिया को अगार की अधिक मात्रा 2% मिलाकर बनाया जाता है। सॉलिड मीडिया को पेट्री प्लेट में और टेस्ट ट्यूब में तिरछा या ढलान के रूप में तैयार किया जाता है। सॉलिड मीडिया प्लेट का उपयोग बैक्टीरियल कॉलोनी की विशेषताओं का अध्ययन, बैक्टीरिया की पहचान, पृथक्करण और एंटीबायोटिक संवेदनशीलता परीक्षण के लिए किया जाता है। 

उदाहरण - न्यूट्रिएंट अगार प्लेट, मैककॉन्की अगार, ब्लड अगार और चॉकलेट अगार।




(Image by Thirdman on Pexels)



B) कंपोजिशन के आधार पर कल्चर मीडिया 5 प्रकार का होता है -


1. नेचुरल मीडिया 

नेचुरल मीडिया/ इम्पिरिकल मीडिया का उपयोग अनुभव के आधार पर किया जाता है क्योंकि इसके कम्पोजीशन के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं होती है। इस के तरह मीडिया में सभी प्रकार के कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिक उपलब्ध होते हैं जो सूक्ष्मजीवों मुख्य रूप से बैक्टीरिया और फंगस की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं।नेचुरल मीडिया अधिक सुगम, सस्ता तथा आसानी से उपलब्ध हो जाता है। 

उदाहरण- मिल्क, ब्लड, वेजिटेबल जूस, यूरिन, यीस्ट एक्सट्रेक्ट तथा बीफ एक्सट्रेक्ट।


2. लिविंग मीडिया

लिविंग मीडिया में कई तरह के लिविंग टिशू या लिविंग सेल होती है, जिनका उपयोग ग्रोथ तथा कल्टीवेशन के लिए किया जाता है। वायरस की वृद्धि के लिए जीवित मीडिया की आवश्यकता होती है क्योंकि वायरस निर्जीव चीजों पर वृद्धि नहीं कर पाता है।


3. सिंथेटिक मीडिया

सिंथेटिक मीडिया को रासायनिक रूप से परिभाषित मीडिया के रूप में भी जाना जाता है। सिंथेटिक मीडिया का सटीक केमिकल कम्पोजीशन बहुत अच्छे से ज्ञात होता है। क्योंकि इस मीडिया का कम्पोजीशन ज्ञात होता है इसलिए बैक्टीरिया की मेटाबोलिक आवश्यकताओं के अध्ययन के लिए उपयोग किया जाता है।

उदाहरण - पेप्टोन वाटर, ग्लूकोज सॉल्ट ब्रोथ, डेविस तथा मिंगिओली मीडियम।


4. कॉम्प्लेक्स मीडिया

कॉम्प्लेक्स मीडिया में उपयोग होने वाले कॉम्प्लेक्स अवयवों का केमिकल कम्पोजीशन ज्ञात नहीं होता है, इसलिए इसे अपरिभाषित मीडिया भी कहा जाता है। यह मीडिया विभिन्न प्रकार के ऑर्गेनिज्म की वृद्धि के लिए उपयोग किया जाता है


5. स्पेशल मीडिया

विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीवों की वृद्धि के लिए सिंगल मीडिया पर्याप्त नहीं होता है, इसका मतलब है कि उनकी उचित वृद्धि को समर्थन नहीं मिलता है। कुछ सूक्ष्मजीवों को विशिष्ट पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है अतः इनके लिए  स्पेशल मीडिया तैयार किया जाता है। स्पेशल मीडिया विशिष्ट बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ावा देता है और उनके कल्टीवेशन, पृथक्करण तथा पहचान के लिए उपयोग किया जाता है। 
उदाहरणमैक्कोंकी अगार, सबोरॉड डेक्सट्रॉज अगार, मेनिटोल सॉल्ट अगार

यह भी देखे -

https://www.notespoint.in/2023/10/bsc-microbiology-1-year-notes-in-hindi.html
https://www.notespoint.in/2023/09/bsc-1-year-microbiology-paper-1-general.html


उपयोग के आधार पर कल्चर मीडिया 8 प्रकार का होता है -


1. सिलेक्टिव मीडिया

सिलेक्टिव मीडिया विशिष्ट प्रकार के सूक्ष्मजीवों की वृद्धि के लिए उपयोग होता है। यह मीडिया वांछित स्पीशीज या स्ट्रेन के बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ावा देता है और उसके लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व उपलब्ध कराता है। यदि कल्चर में अवांछित सूक्ष्मजीव उपस्थित हो तो उनकी वृद्धि को रोकता है।सिलेक्टिव मीडिया का उपयोग प्राकृतिक जनसंख्या में वांछित सूक्ष्मजीव को अलग करने के लिए किया जाता है।

उदाहरणसेल्यूलोज का उपयोग करने वाले बैक्टीरिया केवल उसी माध्यम में विकसित होंगे जिसमें कार्बन स्रोत के रूप में सेल्यूलोज मौजूद है।                                                                                मैककॉन्की अगार और ईओसिन मेथिलीन ब्लू (EMB) अगार मैं कुछ विशिष्ट प्रकार की डाई होती है, जो ग्राम नकारात्मक बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ावा देती है और ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकती है।


2. डिफरेंशियल मीडिया

डिफरेंशियल मीडिया पर कई प्रकार के सूक्ष्मजीवों को विकसित करके उनकी कॉलोनी के आधार पर डिफरेंशिएट कर सकते हैं। इसे इंडिकेटर मीडिया के नाम से भी जाना जाता है, क्योकि इसमें इंडिकेटर्स तथा केमिकल्स का उपयोग भी होता है इन इंडीकेटर्स का उपयोग करके बैक्टीरिया अपनी कॉलोनी को एक विशिष्ट रूप देते है, जिसके कारण इन्हे दुसरे बैक्टीरिया से अलग पहचानने में मदद मिलती है ब्लड अगार एक डिफरेंशियल मीडिया है जिस पर कुछ बैक्टीरियल स्पीशीज ग्रोथ करके रेड ब्लड सेल्स (RBC) को तोड़ देती है इस गुण के कारण इन्हे अन्य बैक्टीरियल कॉलोनी से भिन्न पहचान कर पृथक कर लिया जाता है RBC लाइसिस करने की विषेशता वाले ऑर्गेनिज्म हेमोलिटिक जीव कहलाते हैं। ये ऑर्गेनिज्म मीडिया में RBC को पूरी तरह से तोड़ देते हैं जिससे कॉलोनी के आस-पास क्लियर एरिया/जोन दिखता है, जिसे हेमोलिसिस कहते हैं।

उदाहरण - ब्लड अगार मीडिया, मैककॉन्की अगार


3. एनरिचमेंट मीडिया

यह आमतौर पर एक आइसोलेशन तकनीक है यह मीडिया किसी आवश्यक/वांछित सूक्ष्मजीव की वृद्धि को बढ़ाता है, जबकि अन्य सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को कम करता है


4. एनरिच मीडिया

एनरिच मीडिया में सभी प्रकार के सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को समर्थन करने वाले पोषक तत्व और पोषण से भरपूर सप्लीमेंट मौजूद होते हैं। 

उदाहरण - ब्लड अगार और चॉकलेट अगार।


5. असे मीडिया

यह मीडिया विशिष्ट कम्पोजीशन वाल होता है , जिसका उपयोग एंटीबायोटिक्स, विटामिन और अमीनो एसिड की सांद्रता पता करने के लिए किया जाता है । 

उदाहरण - मूलर हिंटन अगार, सीड अगार और बायोटिन असे मीडिया।


6. ट्रांसपोर्ट मीडिया

यह बफर सॉल्यूशन है जिसमे पेप्टोन तथा कार्बोहाइड्रेट होते है इस मीडिया में ग्रोथ फैक्टर्स तथा न्यूट्रिएंट्स (कार्बन व नाइट्रोजन ) का अभाव होता है, जिससे बैक्टीरिया मल्टिप्लाय नहीं होते है और इनको सुरक्षित तरीके से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है

उदाहरण - एरोबिक ट्रांसपोर्ट मीडिया, एमिस मीडिया



Image Credits - 

Image by Edward Jenner on Pexels

Image by Tima Miroschnicheko on Pexels

Image by Thirdman on Pexels