Showing posts with label Microbiology Hindi notes. Show all posts
Showing posts with label Microbiology Hindi notes. Show all posts

स्टरलाइजेशन की केमिकल मेथड्स B.Sc 1 Year Microbiology in Hindi

स्टरलाइजेशन की केमिकल मेथड्स 

माइक्रोऑर्गेनिज्म की ग्रोथ को रोकने के लिए या उन्हें पूर्ण रूप से हटाने के लिए विभिन्न प्रकार के केमिकल्स का उपयोग स्टरलाइजेशन प्रक्रिया के दौरान किया जाता है। 

कुछ मुख्य केमिकल निम्नलिखित है - 


1. फिनोल तथा फेनोलिक कम्पाउंड्स - 

सन 1880 में जोसेफ लिस्टर ने सर्वप्रथम फिनोल को डिसइंफेक्टेंट के रूप में उपयोग किया था। फिनोल तथा इसके कम्पाउंड्स बहुत अच्छे व प्रभावी डिसइंफेक्टेंट है लगभग 5% फिनोल का जलीय विलयन सभी प्रकार के माइक्रोऑर्गेनिज्म्स की वेजिटेटिव सेल्स को शीघ्रता से मार सकता है
 

स्टरलाइजेशन की फिजिकल मेथड्स B.Sc Microbiology Hindi

स्टरलाइजेशन

जैसा की हम जानते है, माइक्रोऑर्गेनिज्म्स हर जगह पाए जाते है व कंटामिनेशन अथवा कई इन्फेक्शन वाली बीमारियाँ  फैलाते है, अतः किसी वस्तु से इन्हे हटाना अतिआवश्यक हो जाता है। स्टरलाइजेशन ( निर्जमीकरण या विसंक्रमण ) एक ऐसी प्रकिया को कहा जाता है, जिसके अंतर्गत किसी स्थान या वस्तु से सभी प्रकार के माइक्रोऑर्गेनिज्म्स को पूरी तरह से हटाया जाता है। 

कल्चर मीडिया के प्रकार B.Sc 1 Year, Paper - 2, Unit - 3 Microbiology

कल्चर मीडिया

माइक्रोऑर्गेनिज्म की ग्रोथ तथा रिप्रोडक्शन के लिए साधारण एनवायरमेंट या खाद्य पदार्थ काम नहीं आते है। बैक्टीरिया की ग्रोथ के लिए विशेष प्रकार के मीडियम को तैयार किया जाता है जिसे आम तौर पर कल्चर मीडिया कहा जाता है (यह सॉलिड, लिक्विड या सेमीसोलिड हो सकता है)। कल्चर मीडिया में माइक्रोऑर्गेनिज्म या अन्य कोशिकाओं की वृद्धि के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व उपलब्ध होते है तथा इनमें पोषक तत्वों की सांद्रता उतनी ही होती है जितना वृद्धि के लिए आवश्यक होता हैं। ऐसा नहीं है कि सभी माइक्रोऑर्गेनिज्म एक ही प्रकार के कल्चर मीडिया में विकसित हो सकते हैं, विभिन्न स्पीशीज के माइक्रोऑर्गेनिज्म को अपनी वृद्धि के लिए अलग-अलग पोषक तत्वों तथा तापमान की आवश्यकता होती है। माइक्रोऑर्गेनिज्म की विशेष आवश्यकता के अनुसार भिन्न - भिन्न कल्चर मीडिया तैयार किये जाते हैं। 

Waste water Treatment/Sewage Treatment, Environmental Biotechnology

वेस्ट वाटर/सीवेज ट्रीटमेंट

सभी जीव - जंतुओं तथा पेड़ - पौधों को संरचनात्मक और कार्यात्मक क्रियाओं के लिए पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए पानी जीवन के हर रूप के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। लेकिन प्रदूषण के कारण पानी की गुणवत्ता और मात्रा प्रभावित होती है। प्रदूषित जल बीमारियों को फेलाने के लिए सबसे सामान्य स्रोत है। इसके साथ ही इसमें अनेक केमिकल टॉक्सिन पाए जाते हैं। ये सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, इसलिए ये अनुपचारित रूप में झीलों और नदियों में नहीं जाने दिया जाता है। अतः अपशिष्ट/प्रदूषित जल का उपचार करना और पीने के उद्देश्य के लिए शुद्ध करना अत्यंत आवश्यक है।

रिकोम्बिनेन्ट DNA टेक्नोलॉजी में उपयोग होने वाले आवश्यक एंजाइम्स, B.Sc Microbiology Notes हिंदी में, Biotechnology, M.sc, MP SET, NET, Hindi Notes, rDNA Technology

रिकोम्बिनेन्ट DNA टेक्नोलॉजी में उपयोग होने वाले आवश्यक एंजाइम्स

Essential Enzymes used in Recombinant DNA Technology

रिकोम्बिनेन्ट DNA टेक्नोलॉजी या rDNA टेक्नोलॉजी 1973 में स्टेनली N कोहेन और हर्बर्ट W बोयर द्वारा विकसित की गई थी। rDNA टेक्नोलॉजी में इनविट्रो प्रक्रियाओं का उपयोग करके एक जीव के जीन को दूसरे जीव में स्थानांतरित किया जाता है। विभिन्न गतिविधियों वाले विभिन्न एंजाइम्स का उपयोग rDNA टेक्नोलॉजी में अनिवार्य रूप में किया जाता है।

B.sc 2 Year Microbiology Paper 1 Microbial Physiology and Metabolism , B.Sc हिन्दी नोट्स

B.sc 2 Year Microbiology

Paper 1 Microbial Physiology and Metabolism

Unit 1 Biomolecules/जैव अणु


जैसा कि हम सब जानते हैं, जीवों का शरीर कोशिकाओं से मिल कर बना है। कोशिका शरीर की सबसे छोटी संरचनात्मक तथा कार्यात्मक इकाई है, इन कोशिकाओं में पाए जाने वाले समस्त रासायनिक अणु जैव अणु या जैविक अणु कहलाते हैं। यह जीवन के आधार स्तम्भ है तथा जीवों में कई महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। ये आकार व आकृति में भिन्न भिन्न होते है अतः इनके कार्यों में भी भिन्नता होती है। कई जैव अणु पॉलीमर होते है अर्थात् ये कई छोटे छोटे अणुओं से मिलकर बने होते है। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड तथा न्यूक्लिक एसिड मुख्य जैव अणुओं में आते हैं।